भ्रष्टाचार पर निबंध हिन्दी – Essay On Corruption In Hindi – भ्रष्टाचार कोई आज के वर्तमान समय की समस्या नहीं है । बल्कि इसका इतिहास तो बहुत पुराना है यह अंग्रेजो के ज़माने से फूट डालो शाशन करो निति के समय से हमारे देश में इसका पालन हो रहा है ।
भ्रष्टाचार पर निबंध हिन्दी – Essay On Corruption In Hindi
भ्रष्टाचार का मतलब होता है रिश्वत लेना । दूसरे शब्दों में वह काम जो कानूनी रूप से गलत होता है । भारत में भ्रष्टाचार चारों तरफ महामारी की तरह फैला हुआ है । सरकारी ऑफिस में यह ऊपर से नीचे तक फैल चुका है । यह कहना अतिश्योक्ति बिल्कुल नहीं होगा, कि भ्रष्टाचार हर घर में फैल गया है । पहले छोटे-मोटे घोटाले होते थे लेकिन आजकल लाखों करोड़ो के घोटाले होना आम बात हो गई है ।
न्यायिक व्यवस्था भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं रह गई है । एक आम व्यक्ति न्याय पाने में अपनी सारी धन-सम्पत्ति यहाँ तक कि अपनी पूरी उम्र गवां देता है, फिर भी इस बात का नहीं पता होता कि उसे न्याय मिल पायेगा या नहीं ।
पुलिस से गुंडों को डरना चाहिए लेकिन आजकल एक शरीफ इंसान पुलिस से डरता है । वक्त बदला तो भ्रष्टाचार के रूप भी बदलते रहे और साथ हीं भ्रष्टाचार की परिभाषा भी विस्तृत हो गई । पहले केवल हम लोग आर्थिक भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार मानते थे लेकिन आज भ्रष्टाचार के कई रूप हैं जैसे – आर्थिक भ्रष्टाचार, राजनितिक भ्रष्टाचार, न्यायिक भ्रष्टाचार, नैतिक भ्रष्टाचार, सांस्कृतिक भ्रष्टाचार, सामाजिक भ्रष्टाचार, इत्यादि ।
व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए राज्य या देश को मध्य चुनाव में झोंकना राजनितिक भ्रष्टाचार का एक बहत बड़ा उदाहरण है। न्याय मिलने में होनी वाली देरी न्यायिक भ्रष्टाचार का उदाहरण है। कुप्रथाएँ सामाजिक भ्रष्टाचार का उदाहरण है । युवाओं को गलत सांस्कृतिक का पाठ पढ़ाना सांस्कृतिक भ्रष्टाचार है ।
भ्रष्टाचार तब तक खत्म नहीं होगा जबतक आम लोगों का ईमान नहीं जागेगा । आज कल हालात ऐसे हैं कि नेताओं के आर्थिक भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले लोग खुद नैतिक रूप से भ्रष्ट हैं और जब एक भ्रष्ट व्यक्ति भ्रष्टाचार के विरोध की बात करेगा तो यह नाटक करने से ज्यादा कुछ नहीं होगा।
महिलाओं को सशक्त बनाने की बात तो हम करते हैं लेकिन न तो उन्हें आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कोई ठोस कदम उठाते हैं। वि जातीय विवाह हो रहे हैं लेकिन समान आर्थिक स्तर वाले लोग और ऐसे विवाह करने वाले लोग कहते हैं कि वे ही श्रेष्ठ हैं । यह भी एक सामाजिक भ्रष्टाचार है ।
भारत के पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार बुरी तरह से फैल चुका है । शैक्षणिक संस्थान डोनेशन में मोटी कमाई करते हैं तो आप सोच सकते हैं की जिस संस्थान का जड़ हीं भ्रष्टाचार से पोषित हो वहाँ से बाहर निकलने वाला छात्र भ्रष्ट कैसे नहीं होगा ।
न्याय अमीरों का गुलाम बनकर रह गया है । राजनीति तो इतनी भ्रष्ट हो गई है कि इसमें कहाँ भष्टाचार नहीं है कहा नहीं यह कहना मुश्किल होगया है। राजनितिक भ्रष्टाचार का उदहारण यह है कि राजनितिक पार्टियाँ उन नेताओं को पार्टी से नहीं निकालती हैं जो राष्ट्र विरोधी बयान देते हैं बल्कि उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही करती हैं जो पार्टी विरोधी बयान देते हैं ।
कोई भी आसानी से सोच सकता है कि ऐसी राजनीति से किस देश का कितना भला होने वाला है । सिस्टम में ऊपर से लेकर नीचे वाला हर व्यक्ति आर्थिक भ्रष्टाचार में का हिस्सा बन चूका है । भ्रष्टाचार से होने वाले आय का जबतक लोग स्वागत करते रहेंगे तब तक भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा ।
भ्रष्टाचार के साथ साथ आतंकवाद और आधुनिक शिक्षा प्रणली भी बहुत विशेष समस्याए है, यह जानना भी आपके लिए काफी आवश्यक है ।